15 मई 2021

मार्केट ओवरवेल्यूड या अंडरवेल्यूड ?

 अभी के हालातों में एक्सपर्ट से एक्सपर्ट को भी यही लग रहा है कि बाजार शार्ट टर्म के लिए करेक्शन दिखा सकता है इसलिए सावधान रहना चाहिए लेकिन इसका मतलब यह नही है कि मार्केट में लंबी अवधि के लिए कोई बड़ी गिरावट होने वाली है जो मार्च 2020 में देखने को मिली थी।

बाजार के सामने जब कोई नई समस्या आती है वह उस पर अपना रिएक्शन आने वाले समय को डिस्काउंट करके ही देता है जो मार्केट ने 2020 में ही आलरेडी कर लिया है फिर कोरोना मार्केट के लिए कोई नई घटना नही हैं। मार्च 2020 में मार्केट का 40% से अधिक गिरना यह आने वाले 5 से 7 वर्षो का कैलकुलेशन करके ही डिसाइड किया हुआ कदम है। अब कोई नई समस्या आ जाये तो उसकी बात अलग है। कोरोना आलरेडी डिकॉउंटेड है ।

मार्केट गिरेगा कब गिरेगा यह सिर्फ और सिर्फ उन लोगो के दिमाग की उपज होती है जो या तो नए नए है या लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स नही है। रही बात इकॉनमी के गिरने की तो सारे कंपनियों के तिमाही नतीजे एक से बढ़कर एक आ रहे है जीडीपी के आंकड़े और मैन्युफैक्चरिंग के आंकड़े भी पिछले साल की तुलना में बेहतर ही आ रहे है तो इकोनॉमी कंहाँ गिर रही है। इकोनॉमी पिछले 2 साल से तो गिर ही रही थी अब तो उसके उठने का समय है । जिस प्रकार भारत समेत दुनिया भर के तमाम देशों ने इकोनॉमी में पैसा फूंका है उसे देखकर तो ऐसा ही लगता है कि इकोनॉमी के अच्छे ही दिन आने वाले है। हम लोग याद करेंगे कि कभी कोरोना नाम की महामारी ने हमे भले ही झकझोर कर दिया था लेकिन इकोनॉमी और मानव समाज के लिए यह किसी वरदान से कम नही थी।

 मार्केट ओवर वैल्यूड होता है लेकिन यह अभी नही है । अगर यह पिछले 5-7 वर्षों से लगातार बढ़ रहा होता तो जरूर यह ओवर वैल्यूड कहा जा सकता था। जब इकॉनमी भी 5-7 वर्षो से अंडर वैल्यूड ही है तो मार्केट ओवर वैल्यूड कहाँ से हो सकता है।

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