29 नव॰ 2022

शेयर बाजार क्यों है जरूरी/ why stock market is necessary

  शेयर बाजार में क्यों लगाना चाहिए पैसा?                                  एक्सपर्ट कहते हैं कि इक्विटी में लगा पैसा किसी दूसरे एसेट में लगे पैसे की तुलना में तेजी से बढ़ता है. लेकिन आमतौर पर वे यह नहीं बताते हैं कि ऐसा क्यों है? आज हम आपको बता रहे हैं निवेश करने वाले अधिकतर लोग मानते हैं कि लगातार बढ़ती महंगाई दर को मात देने के लिए निवेश का सबसे अच्छा साधन इक्विटी (शेयर मार्केट) है. एक्सपर्ट कहते हैं कि इक्विटी में लगा पैसा किसी दूसरे एसेट में लगे पैसे की तुलना में तेजी से बढ़ता है. एक्सपर्ट्स इक्विटी के पुराने रिटर्न को देखते हुए ऐसा कहते हैं, लेकिन अधिकतर लोग इस बात पर आंखें मूंदकर भरोसा कर लेते हैं. वे यह नहीं पूछते कि इस बात की क्या गारंटी है कि यदि इतिहास में अच्छा रिटर्न दिया है तो भविष्य में भी अच्छा रिटर्न मिलेगा ही?यह सवाल पूछना जरूरी इसलिए है ताकि आपको इसका जवाब मालूम हो. इस प्रश्न का उत्तर जानकर आप यकीनन एक अच्छे निवेशक बन जाएंगे और आपकी वेल्थ के बढ़ने के चांस भी बढ़ जाएंगे.                                                                                      हम स्टॉक मार्केट की बात कर रहे हैं तो यहां इसका मतलब ब्रॉड मार्केट इंडेक्स से समझा जाए. इंडेक्स कुछ स्टॉक्स की एक बास्केट की तरह हैं, जो ओवरऑल शेयर मार्केट का प्रतिनिधित्व करते हैं. कह सकते हैं कि इनकी चाल से पूरे बाजार की चाल समझी जा सकती है. तो हम आपको बता रहे हैं मूल सवाल के जवाब, जिसे लोग अक्सर पूछते नहीं है.      मुद्रास्फीति या महंगाई

जैसे-जैसे चीजों की कीमतें बढ़ती हैं, वैसे-वैसे उन चीजों को बनाने वाली कंपनियों के रेवेन्यू और प्रॉफिट भी बढ़ता है. इसके साथ ही कंपनी के स्टॉक की वेल्यू भी बढ़ती है. इसे यूं भी समझा जा सकता है कि स्टॉक इंडेक्स के स्तर के ऊपर जाना एक तरह से इन्फ्लेशनरी ग्रोथ ही है. महंगाई भी एक कारण है कि व्यक्ति को निवेशक बनना चाहिए न कि केवल बचतकर्ता (Saver). एक निवेशक के तौर पर आपके एसेट की कीमत भी मुद्रास्फीति के साथ-साथ बढ़ती है, परंतु एक बचतकर्ता का पैसा बढ़ता नहीं है.                                                                       जनसंख्या वृद्धि

बढ़ती जनसंख्या का मतलब आमतौर पर कंपनियों के लिए एक बड़ा योग्य बाजार होता है. और जो कंपनियां अपने बड़े और बढ़ते बाजार को सफलतापूर्वक सामान बेचती हैं, समय के साथ वे और अधिक मूल्यवान हो जाती हैं.                                                                                  टेक्नोलॉजी का बढ़ता दायरा

आंकड़ों के आधार पर भी कहें तो जितने ज्यादा लोग होंगे, उतने ही अधिक जीनियस और अविष्कार करने वाले सामने आएंगे. जैसे कि वैश्विक जनसंख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे इन्सान की तरक्की और अविष्कारों की गति भी तेज हो रही है. और इसी के आधार पर कंपनियों का प्रॉफिट भी लगातार अच्छा हो रहा है, क्योंकि टेक्नोलॉजी के बिना इतनी बड़ी जनसंख्या को हर पक्ष से मैनेज करना मुश्किल है.                 स्टॉक की नेचुरल सिलेक्शन

एक इंडेक्स में आमतौर पर बाजार की बड़ी और बेहतरीन कंपनियां शुमार होती हैं. यदि कोई कंपनी क्वालिफिकेशन क्राइटेरिया में फेल होती है तो उसे इंडेक्स से बाहर करके किसी दूसरी बेहतरीन कंपनी को इंडेक्स में शामिल कर लिया जाता है. ऐसे में निवेशक को विशेष तौर पर स्टॉक चुनने की कोई टेंशन नहीं रहती, क्योंकि यह एक नेचुरल सिलेक्शन है, जो हमेशा आउटपरफॉर्म करता है.


लम्बे समय में जोखिम भी देते हैं लाभ

यदि आप शार्ट टर्म के लिए बाजार में पैसा डालते हैं तो आपको नुकसान होने की संभावना रहती है, लेकिन यदि आप लम्बी अवधि के लिए फाइनेंशियल मार्केट में पैसा लगा रहे हैं तो आपको फायदा ही होगा. चूंकि शार्ट टर्म में जोखिम होता है तो लॉन्ग टर्म में आपको उस जोखिम के बदले में प्रीमियम मिलता है. इसे बाजार की भाषा में रिस्क प्रीमियम कहा जाता है.                                                                              सेंट्रल बैंक की भूमिका

जब इकॉनमी में जरूरत से अधिक महंगाई पैदा होती है तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ब्याज दरों में इजाफा करके इसे शांत करने की कोशिश करता है, जिससे कि मुद्रास्फीति नियंत्रण में आ जाती है. इसके उलट, जब अर्थव्यवस्था लड़खड़ाती है तो केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को कम कर देता है, जिससे लोग ज्यादा खर्च करते हैं और आर्थिक गतिविधियां बढ़ती हैं. मतलब, अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए केंद्रीय बैंक लगातार निगरानी करता है.                                                          नीचे जाने के बाद बाजार ऊपर क्यों आता है?

बाजार में बिकवाली, डाउन ट्रेंड, क्रैश से सबको डर लगता है. ये हर बाजार चक्र का हिस्सा हैं. आते हैं और गुजर जाते हैं. ये सदा के लिए टिकाऊ नहीं हो सकते. लेकिन क्यों? इसके कुछ कारण है-

सरकार एक्शन लेती है. जब-जब इकॉनमी में कुछ बुरा होता है तो सरकार और RBI कुछ ऐसे कदम उठाते हैं, जो इकॉनमी को संकट से उबारने का काम करते हैं.

मार्केट्स इकॉनमी के भविष्य के लिए बैरोमीटर की तरह काम करते हैं. यदि बाजार को हमेशा गिरना ही है तो कंपनियों को अपने धंधे बंद कर देने में ही फायदा होगा. लेकिन ऐसा नहीं होता. कंपनियों से बेहतर बाजार को कोई नहीं जानता. कंपनियां लगातार काम करती हैं, इसका मतलब है कि बाजार हमेशा मंदी में नहीं रहता.

ग्रीड का फैक्टर भी काफी काम करता है. जब-जब शेयर बाजार में गिरावट आती है तो बहुत बड़ी संख्या में लोग इसकी तरफ आकर्षित होते हैं. यह एक तरह से डिस्काउंट सेल जैसा मौका होता है. लोग गिरे हुए अच्छे शेयर्स या इंडेक्स में पैसा लगाते हैं और जब बाजार उठता है तो उन्हें लाभ होता है.जितना लम्बा टिकेंगे, जीतने के चांस उतने ज्यादा!

भारतीय इक्विटी मार्केट का इतिहास कहता है कि इसने लगभग 16 फीसदी का सालाना कम्पाउंडेड एवरेज रिटर्न दिया है. बाजार में समय कैसे निवेशक को फायदा पहुंचाता है, उसे एक डेटा से समझना चाहिए. पिछले 33 वर्षों के सेसेंक्स के आंकड़े बयान करते हैं कि 15 फीसदी सालाना रिटर्न पाने के लिए यदि आप 1-2 साल तक टिकते हैं तो आपके चांस 50 फीसदी होते हैं. यदि आप 7 साल के लिए निवेश में बने रहते हैं तो सालाना आधार पर 15 फीसदी रिटर्न पाने के चांस बढ़कर 66 फीसदी हो जाते हैं. इसी तरह 15 साल तक टिके रहने की स्थिति में चांस 70 फीसदी बन जाते हैं.

15 मई 2021

बेरोजगारी दूर करने और Early रिटायरमेंट का शानदार विकल्प शेयर बाजार

 साथियो आज मैं आपको इन्वेस्टमेंट की एक बहुत ही अच्छी बात बताना चाहता हूँ जो ज्यादातर लोग नहीं जानते और सरकार को और अपने आप को कोसते रहते है । 

इसे हम एक उदहारण से समझने की कोशिश करते है मान लिजिए कि रवि नाम का एक नौजवान युवा है और उसकी उम्र 20 साल है उसने स्नातक तक की पढ़ाई की है और कोई प्राइवेट जॉब करता है जिसमे उसे 20000 रु प्रति माह सेलेरी मिलती है जो की ठीक ठाक  कही जा सकती है । इसमे से वह प्रति माह 10000 रु म्यूच्यूअल फंड या शेयर बाजार मे निवेश करता है जिसकी उसे ठीक ठाक समझ है  और हम मान कर चलते है कि उसे लगभग 18% की चक्रवर्ती दर से भी रिटर्न मिलता है तो गणना करने पर 20 वर्ष बाद जब वह 40 साल का हो जाता है तो जो राशि निकल कर आती है वो आपको दांतो तले अंगुली दबाने को मजबूर कर देगी, आप विश्वास ही नहीं करेंगे कि 20 वर्ष बाद उसे जो रकम हाथ लगेगी वह बढ़ करके 21034871.86 रु हो जायेगी। जो कि एक सरकारी कर्मचारी को भी रिटायरमेंट के समय शायद नहीं मिलती होगी और वो भी 60 साल की उम्र मे , रवि को तो ये 40 साल की उम्र मे ही मिल रही है। ऐसे मे मुझे तो कम से कम यही लगता है कहीं ना कहीं सिस्टम मे कुछ तो खामी जरुर है जिसकी वजह से हम सिस्टम को कोसते रहते है । कई लोग तो 40 साल की उम्र  सिर्फ सरकारी नौकरी पाने मे ही निकाल देते है उनको रवि से सिखने की जरुरत है। साथियों म्यूच्यूअल फंड या शेयर बाजार से पैसा कमाना कोई रोकेट साइंस नहीं है कोई भी आम निवेशक यह कर सकता है।

शेयर बाजार मे तनाव मुक्त रहने का फंडा

 साथियों कई नये लोगों का मानना कि बाजार अभी बहुत बढ़ चुका है और वो निवेश करेंगे तो उनकों नुकसान हो सकता है तो मैं उनकों यह बताना चाहूँगा कि बेशक बाजार मे एक जोरदार तेजी पिछले 7-8 महिनों से आयी है और यह इन स्तरों पर काफी बढा हुआ भी लगता है लेकिन ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जो यह कह सके कि अब बाजार ऊपर जायेगा या नीचे आयेगा ऐसा पूर्वानुमान लगाना सम्भव नहीं है तो फिर हम क्या करे, यदि हमारा बाजार मे निवेश है तो क्या exit कर ले या नया निवेश करना है तो अभी करे या रुके।

इन सब परेशानियों का एकमात्र हल यह है कि हमे कभी भी सम्पूर्ण निवेश एक साथ नहीं करना चाहिए बल्कि बाजार ऊपर जा रहा है या नीचे आ रहा है इसका तनाव ना लेते हुए मासिक रुप से एक निश्चित निवेश करते रहना चाहिये,Exit करना हो भी इसी प्रकार मंथली ही करना चाहिये इससे बाजार के उतार चढ़ाव का कोई फर्क नहीं पदेगा और आप हमेशा तनाव मुक्त ही रहेंगे।

Risk Management in Stock Market

 नमस्कार साथियों 

 कहीं न कहीं आपके मन  मे यह बात जरुर है कि शेयर बाजार के बारे मे जो कुछ भी हम जानते है वो ऊँट के मुंह मे जीरे के समान है यह वैसा नहीं है जैसा हमारा समाज हमारा आस पास का वातावरण हमे बताता है बल्कि ये उससे अलग है जो हमे कोई नहीं बताता। दुनिया मे हर चीज मे रिस्क होता है हर काम मे रिस्क होता है हम आये दिन सडकों पर देखते है सैकड़ो गाडिय़ों के ऐक्सीडेंट होते है बस ऐक्सीडेंट, ट्रेन ऐक्सीडेंट और यहाँ तक कि हवाई जहाज भी क्रेश हो जाते है। जब हमे पता होता है कि ये चीजे कभी भी क्रेश हो सकती है फिर भी हम इनमे बैठकर यात्राएँ करते है क्या कोई व्यक्ति ऐसा है जो ये सब नहीं करता,यहाँ तक की पैदल चलने वाला भी इसका शिकार होता है फिर भी वो चलता है क्योकिं वो रिस्क उठाता है ।

मुझे एक बात बताईये जब वास्कोडि गामा भारत की खोज के लिये निकला था तो क्या उसको मालूम था कि भारत किधर है, नहीं ना फिर भी उसने रिस्क उठाया और अपनी मंजिल को पाया। किसान को नहीं मालूम होता कि उसकी फसल अच्छी होगी या नहीं  फिर भी वो रिस्क उठाता हैऔर खेती करता है। हम कोई भी बिज़नेस करते है कोई भी धन्धा करते है शुरु करने से पहले ही क्या हमे पता होता है कि हम कामयाब होंगे फिर भी हम रिस्क उठाते है और उसमे जी जान लगाते है। यह अलग बात है कि हम उसमे कामयाब होंगे कि नहीं। यदि हम यात्रा  शुरु ही नहीं करेंगे यानी हम रिस्क लेंगे ही नहीं तो कहीं पहुंचने का तो सवाल ही नहीं है। मंजिल खुद चलकर हमारे पास नहीं आई हमे ही उसके पास जाना पड़ा।

साथियों निवेश करने के तीन विकल्प होते है पहला है सोना जिसमे हमारे पूर्वज और बड़े बुजुर्ग निवेश किया करते थे जिसमें रिस्क बिल्कुल नहीं होता था , शायद आज भी नहीं है और आगे भी नहीं रहेगा।

दुसरा है जमीन जायदाद मे निवेश इसमे रिस्क सोने से थोड़ा ज्यादा है परन्तु बहुत ज्यादा है ऐसा भी नहीं है यह हमारे जमाने का निवेश है जिसमे हम अक्कसर निवेश कर अपने आप पर बहुत इतराते है कि आने वाला समय हमारा होगा । बेशक सोना और प्रॉपर्टी निवेश के अच्छे विकल्प है और हमेशा रहेंगे परन्तु निवेश का एक तीसरा विकल्प भी है जो न तो हमारे जमाने का है और न ही हमारे पूर्वजो के जमाने का , ये है भविष्य का निवेश  इसमे हम जो पेड़ लगायेंगे वो हमे और आने वाली पीढ़ी को फल देगा।

जी हाँ साथियों  शेयर बाजार एक ऐसा ही निवेश का विकल्प है जिसमें हमे नहीं मालूम होता कि भविष्य में क्या फल मिलेंगे फिर भी हम रिस्क उठाने को तैयार हो जाते है । क्योकिं इतिहास गवाह है जिसने भी रिस्क उठाया हैअपने सपनो को पूरा करने के लिये आने वाली बाधाओं की परवाह न करते हुए कदम बढाया है सफलता उसके स्वागत को तैयार खड़ी मिली है।

धन्यवाद।

कोरोना को अवसर मे बदलने का समय आ गया है

 साथियो जैसा कि आप को मालूम है गत वर्ष से corona जैसी महाभयंकर वैश्विक महामारी ने सम्पुर्ण विश्व को  अपने आगोस मे लिया हुआ है जिसमे सभी देश यह मान रहे है कि इस महामारी के पीछे चाइना का हाथ है लेकिन कुछ कर नहीं पा रहे है। इस वजह से सभी देशो ने चाइना से अपने रिलेशन तोड़ने शुरु कर दिये विदेशी कम्पनियाँ चाइना छोड़ कर अन्य देशो का रुख कर रही है इससे भारत को बहुत फायदा होगा क्यौंकि इनमे से ज्यादातर कम्पनिया भारत मे ही आयी है और आ रही है क्यौंकि चाइना की साख बहुत गिर चुकी है। भारत सरकार ने भी चाइना से आयात बिल्कुल बन्द कर दिया है इसमे आप सोच सकते है कि हमारा कितना बड़ा फायदा है।हमारी कई कंपनीया सस्ते चाइनिज माल की वजह से घाटे मे चल रही थी अब चाइना से Imprort बन्द होने से उनके अच्छे दिन आ गये है तभी तो आपने देखा पिछले 10-12 महिनो से फार्मा और केमिकल कम्पनियो को जबर्दस्त मुनाफा हो रहा है और उनके शेयर price 3- 4 गुना हो चुके है इसी प्रकार इलेक्ट्रॉनिक्स सामान बनाने वाली कम्पनियो के शेयर price बढे है। इसी क्रम मे भारत सरकार ने इन इलेक्ट्रॉनिक्स सामान बनाने वाली कम्पनियो खासकर contract मैन्युफैक्चरिंग करने वाली कम्पनियों के लिये एक स्कीम लौन्च की है जिसका नाम है Prodution linked incentive scheme (PLI)इसमे इन कम्पनियों को विशेष छुट  मिलेगी जिससे इनकी लागत कोस्ट बहुत ही कम रह जायेगी जो इनके लिये गेमचेंजर साबित होगा।अभी फिलहाल भारत मे ऐसी दो ही कम्पनिया है जो कॉन्टैक्ट मैन्युफैक्चरिंग करती है इन्हे PLI स्कीम का जबरदस्त बेनिफीट होगा और अगले कई सालो तक होता रहेगा। तो समझदार लोग समझ गये होंगे कि मै किन कम्पनियों की बात कर रहा हूँ जी हाँ मै बात कर रहा हूँ Dixon Technology और Amber Enterprizes की जिन्हे आप जब भी मार्केट मे गिरावट हो खरीद कर अपने पोर्टफोलियो मे add कर सकते हो क्योकिं ये बहुत ही लम्बी रेस के घोड़े साबित होने वाले है हालांकी अभी इनके शेयर प्राइस काफी हाई हो चुके है।

शेयर बाजार गैप अप या गैप डाउन क्यों ओपन होता है?

  बहुत ही अच्छा प्रश्न है जो ज्यादातर उन निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित करता है जो बाजार में बिल्कुल नए हैं और शेयर बाजार को ज्यादा अच्छे से नह...